Hindi Lyrics of the Bhajan:
कीर्तन की है रात बाबा आज थाने आणो है
कीर्तन की है रात बाबा आज थाने आणो है
थाने कॉल निभाणो है
कीर्तन की है रात............
दरबार सांवरिया ऐसो सज्यो प्यारो दयालु आपको
सेवा में सांवरिया सगळ्या खड़याँ डीके हुकुम बस आपको
सेवा में थारी ओ म्हणे आज बिछ जानो है
थाने कॉल निभाणो है
कीर्तन की है रात.......
कीर्तन की है त्यारी कीर्तन करां जमकर प्रभु क्यों देर करो
वागो थारो दातार कीर्तन में आने को घणी क्यों देर करो
भजन सु थाने ओ बाबा आज रिझानो है
थाने कॉल निभाणो है
कीर्तन की है रात.....
जो कुछ बण्यो म्हा सु अर्पण प्रभु सारो प्रभु स्वीकार करो
नादान सु गलती होती ही आई है प्रभु मत ध्यान धरो
नंदू सांवरिया थारो दास पुराणों है
थाने कॉल निभाणो है
कीर्तन की है रात
Meaning:
भजन "कीर्तन की है रात बाबा आज थाने आनो है" एक प्रेमपूर्ण भजन है जिसमें भक्त भगवान के प्रति भक्ति और सेवा का आदर्श प्रस्तुत करता है। यह भजन भक्ति और सेवा के महत्व पर प्रकाश डालता है और भक्त में आशा जगाता है कि भगवान हमारे प्रयासों को स्वीकार करते हैं और हमारी सेवा की सराहना करते हैं।
भजन की पहली पंक्तियाँ, "कीर्तन की है रात बाबा आज थाने आनो है," की आवाज यह घोषणा करती है कि भक्त के लिए अपनी भक्ति के साथ भगवान के पास जाने का समय आ गया है। यहां "रात" का प्रयोग ध्वनि की परिभाषा के रूप में किया जा रहा है, जिसे भक्त के उत्साह के लिए प्रतिस्थापित किया जा सकता है।
अन्य पंक्तियाँ, "ठाणे कॉल निभानो है," भक्त की सतर्कता और अपेक्षा को दर्शाती है कि वह अब भगवान की सेवा के लिए प्रतिबद्ध है और उनके आदर्शों का पालन करने के लिए तैयार है। "कॉल निभानो" का उपयोग भगवान के आगमन का स्वागत करने के लिए समर्पण की भावना को दर्शाता है।
तीसरी पंक्तियों में, "कीर्तन की है रात", भजन के मुख्य विषय को दोहराते हुए दोहराती है कि भजन का उद्देश्य भक्ति और संगीत के माध्यम से भगवान की महिमा करना है।
चौथी पंक्ति "दरबार सांवरिया ऐसो सज्यो प्यारो दयालु आपको" में भक्त की भगवान के प्रति श्रद्धा और उनके चरणों में समर्पण की भावना का संकेत मिलता है। भक्त का प्यार और सम्मान व्यक्ति को भगवान की महिमा को समझने और उनकी दया के प्रति कृतज्ञता दिखाने में मदद करता है।
पाँचवीं पंक्ति, "सेवा में साँवरिया सबकी कहानियाँ, हुकुम बस आपको," में भगवान के आदर्शों का पालन करने के महत्व को समझाया गया है और सेवा के माध्यम से उनके आदर्शों का पालन करने के तरीके प्रस्तुत किए गए हैं। "खाद्यन डीके हुकुम" का प्रयोग भगवान के प्रति सम्मान और भक्ति दर्शाने के लिए किया जाता है।
छठे श्लोक में, "सेवा में थारी ओ माहे आज बिच जाणो है," भगवान के आदर्शों का पालन करने के लिए भक्त की अंतरात्मा की भक्ति और सेवा से उसकी आत्मा को मिलने वाली अद्भुत खुशी का वर्णन किया गया है।
भजन की अंतिम पंक्तियों "नंदू सांवरिया थारो दास पुराणों है" में भक्त की विनम्रता, समर्पण और प्रेम का संचार होता है और उनके आदर्शों पर चलने की प्रतिबद्धता दिखाई जाती है। "थारो दास पुराण है" भक्त की आत्मा के साथ उसके आदर्शों के अद्भुत संबंध का वर्णन करता है।
इस भजन के माध्यम से भक्त भगवान के प्रति अपनी सच्ची भक्ति और श्रद्धा व्यक्त करते हैं और उनके आदर्शों पर चलने का संकल्प लेते हैं। यह भजन उन्हें उनके आदर्शों के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है और उनकी भक्ति का महत्व समझाता है।
