Haare ka Sahara Baba Shyam Humara: Bhajan Meaning

 

Haare ka Sahara Baba Shyam Humara



Hindi Lyrics of the Bhajan:  

हारे का सहारा है , बाबा श्याम हमारा है
हारे के सहारे ने , दिया सदा सहारा है
हारे का सहारा है ………..

हार गया हूं में , क्यों देर लगाता है
खेल तेरे न्यारे , कोई समझ ना पाता है
मूरख हूँ अज्ञानी , कोई सूझे ना चारा है
हारे का सहारा है ………..

लाज बचाना तो , बाबा दस्तूर है तेरा
इतना क्यों दास यहाँ , मजबूर है तेरा
हार के आया में , श्याम सेवक तुम्हारा है
हारे का सहारा है ………..

बहुत हुआ अब तो , आके सम्भालो जरा
नाम की जो महिमा है , इसको बचा लो जरा
मेरा नही कोई जग में , किया सबने किनारा है
हारे का सहारा है ………..

श्याम तेरी चौखट का , रस्ता बनालो मुझे
भक्तो के चरणों की , रज माथे लगा दो मुझे
मोहन कौशिक ऐसे ही , श्याम लाखो को तारा है
हारे का सहारा है ……….


Haare ka Sahara Baba Shyam Humara


Meaning:

हारे का सहारा है, बाबा श्याम हमारा है" यह भजन एक गहरे आदर और भक्ति की भावना से भरा हुआ है जो श्री कृष्ण के प्रति एक भक्त की अनुरागित भावनाओं को व्यक्त करता है। यह भजन भगवान के प्रति अनन्त प्रेम और विश्वास की महत्वपूर्णता को उजागर करता है।

यह भजन "हारे का सहारा है, बाबा श्याम हमारा है" शब्दों से शुरू होता है, जिनसे स्पष्ट रूप से प्रकट होता है कि भक्त व्यक्ति अपनी हारों और असफलताओं को भगवान श्री कृष्ण के आदर्शों और भक्ति में समर्पित कर रहा है। यह भजन एक उपहारी है, जो भगवान के प्रति उनकी आदर्श भक्ति को दर्शाने का प्रयास करता है।

प्रारंभ में ही यह भजन उच्चारित करता है, "हारे के सहारे ने, दिया सदा सहारा है" जिससे स्पष्ट होता है कि भक्त ने अपने जीवन में भगवान के प्रति अपनी निष्ठा को महत्वपूर्ण बनाया है। यहां एक उत्कृष्ट संवाद बयां किया जाता है, जिसमें भक्त भगवान के प्रति अपनी निष्ठा के बारे में बता रहा है और यह समझाता है कि भगवान के साथीत्व में हार नहीं हो सकती, और उनके सहारे से हमें सदा उत्तरोत्तर प्रेरणा मिलती है।

इसके आगे, यह भजन कहता है, "हार गया हूं में, क्यों देर लगाता है" जो कि भक्त की भगवान के प्रति उसकी अपनी समस्याओं और संघर्षों के प्रति उसके निराशामूलक दृष्टिकोण को प्रकट करता है। यह भजन भक्त के आदर्शों को स्पष्ट करता है जो व्यक्ति ने अपने जीवन में पाए गए उन समस्याओं के प्रति कैसे संघर्ष किया और आखिरकार भगवान के प्रति अपनी निष्ठा के साथ उन्हें पार किया।

इस भजन का आगे का भाग, "मूरख हूँ अज्ञानी, कोई सूझे ना चारा है" उस व्यक्ति की भगवान के प्रति उसकी निष्ठा को और भी गहरा बताता है, जिसमें वह अपने जीवन में अपनी अज्ञानता को स्वीकार कर रहा है और यह समझ रहा है कि उसके पास कोई सार्थक राह नहीं है। यह भाग व्यक्ति के समस्याओं के प्रति उसकी असमर्थता की भावना को उजागर करता है और उसे भगवान की शरण में आने का प्रोत्साहन देता है।

भजन के आखिरी भाग में गायक कहता है, "नंदू सांवरिया थारो दास पुराणों है" जो कि भगवान के प्रति उसकी अनुरागित भक्ति और समर्पण की अद्वितीयता को दर्शाता है। यह भाग व्यक्ति की आत्म-समर्पण और भगवान के प्रति उसकी पूरी आत्मा की समर्पितता की महत्वपूर्णता को प्रकट करता है।

समापन में, "हारे का सहारा है, बाबा श्याम हमारा है" भजन एक गहरे और सार्थक भावनाओं का प्रतीक है जो भक्त के मन की गहराइयों में बसी हैं। यह भजन उन लोगों के लिए एक उत्कृष्ट संदेश है जो अपनी सार्थकताओं और असफलताओं के बावजूद भगवान के प्रति अपनी निष्ठा और आदर्श भक्ति को पकड़े रखना चाहते हैं।

Post a Comment

0 Comments
* Please Don't Spam Here. All the Comments are Reviewed by Admin.